मानव मस्तिष्क की अनदेखी दुनिया: आज से एक विशेष श्रृंखला
Lucknow [ Report By- Jyotirmay yadav ]
आज से हम "मानव में विकृत मस्तिष्क बीमारियों और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स" की एक विशेष श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। इस श्रंखला के माध्यम से हम उन मानसिक और दृष्टिगत बीमारियों पर प्रकाश डालेंगे जो सामान्य नज़र से दिखाई नहीं देतीं, लेकिन व्यक्ति के व्यवहार और जीवन पर गहरा असर डालती हैं।
इस सीरीज़ का उद्देश्य है कि आप अपने आस-पास ऐसे लोगों को पहचानें
(PMO) Prosopometamorphopsia ?
🧠 चेहरे लगते हैं ‘दानवों’ जैसे: जब आंखें धोखा देने लगती हैं
— एक रहस्यमय मस्तिष्क विकार की कहानी!
ज़रा सोचिए, अगर आपके सामने बैठा कोई अपना अचानक किसी डरावनी फिल्म के किरदार जैसा दिखने लगे — नाक टेढ़ी, आंखें उभरकर बाहर, और चेहरा असामान्य रूप से खिंचा हुआ। यह कोई सपना या मानसिक भ्रम नहीं, बल्कि एक दुर्लभ दृष्टिगत न्यूरोलॉजिकल बीमारी है — Prosopometamorphopsia (PMO)।
🔍 क्या है Prosopometamorphopsia (PMO)?
यह एक दृष्टि-संबंधी मस्तिष्क विकार है, जिसमें व्यक्ति वास्तविक चेहरों को विकृत, डरावना या असामान्य रूप में देखता है। यह कोई मनोविकृति नहीं, बल्कि मस्तिष्क में दृश्य प्रक्रिया गड़बड़ाने का परिणाम होता है।
हाल ही में डार्टमाउथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस स्थिति से ग्रसित एक 58 वर्षीय व्यक्ति के अनुभव को कम्प्यूटर द्वारा पहली बार सजीव रूप में दर्शाया।
🔎 लक्षण क्या हैं?
सामने देखे गए चेहरे विकृत, असामान्य या डरावने दिखते हैं
स्क्रीन या फोटो में वही चेहरा सामान्य दिखाई देता है
मरीज को भ्रम नहीं होता, वह जानता है कि उसका दिमाग ग़लत छवि बना रहा है
कई बार सामाजिक दूरी, भय या अवसाद का सामना करना पड़ता है
💡 क्या यह मानसिक बीमारी है?
नहीं। अक्सर इस रोग को स्किज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों के रूप में ग़लत समझा जाता है। लेकिन PMO नेत्र-प्रेरित मस्तिष्कीय भ्रम है, न कि कोई मनोरोग।
👩⚕ इलाज संभव है?
सही पहचान के बाद एंटी-एपिलेप्टिक दवाइयाँ
विशेष रंगीन लेंस या चश्मे
न्यूरो-विज़ुअल थैरेपी
परामर्श और सामाजिक सहयोग
🙋♂ क्या ऐसे लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं?
हां, अगर समय पर निदान हो जाए, तो PMO से ग्रसित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। वे मानसिक रूप से सजग होते हैं, कार्यक्षमता बनी रहती है, बस उन्हें चेहरों की गलत छवि परेशान करती है।
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