मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

विश्व कला दिवस

 विश्व कला दिवस

भारतीय समकालीन कला और इतिहास पर विशेष व्याख्यान एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन
"कला को नई दृष्टि की ज़रूरत है" – जॉनी एम. एल.
लखनऊ, 15 अप्रैल 2025लियोनार्डो द विंची के जन्मदिवस के अवसर पर “विश्व कला दिवस” के अंतर्गत डॉ० शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के ललित कला एवं प्रदर्शन कला संकाय द्वारा एक भव्य कला आयोजन किया गया। इस अवसर पर न केवल एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया, बल्कि कला छात्रों की उत्कृष्ट रचनाओं की एक सशक्त प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसने उपस्थित दर्शकों और कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया।


प्रमुख व्याख्यान – भारतीय आधुनिकता और कला इतिहास की पुनर्रचना पर ज़ोर

इस विशेष आयोजन में देश के प्रख्यात कला इतिहासकार, कला समीक्षक एवं विचारक श्री जॉनी एम. एल. द्वारा एक गहन व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय आधुनिक कला की जटिल यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि-

"भारतीय कला में आधुनिकता पश्चिमी आधुनिकता से उत्पन्न पारंपरिक रचनात्मक शैलियों के लिए एक खुली चुनौती के रूप में आई।"

उन्होंने  एफ. एन. सूजा के नेतृत्व में स्थापित बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि यह समूह भारतीय कला में आधुनिकता के बीज बोने वाला अग्रिम मोर्चा था। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी दृश्य भाषा भी काफी हद तक पश्चिमी आधुनिकता से प्रभावित थी।

1960 के दशक में दक्षिण भारत में के. सी. एस. पणिक्कर के नेतृत्व में स्थानीय तत्वों की खोज और समावेश के प्रयासों को भारतीय आधुनिकता में एक नई दिशा देने वाला बताया। जॉनी एम. एल. ने जोर देकर कहा कि-

“आज एक नया कला इतिहास लेखन समय की मांग है। यह इतिहास न तो केवल उत्तर-केंद्रित होना चाहिए और न ही केवल वादों और स्कूलों पर आधारित। इसे समावेशी, बहुआयामी और सृजनात्मक विविधताओं को समेटने वाला होना चाहिए।”

उनके द्वारा दी गई यह व्याख्यान प्रस्तुति न केवल सूचनात्मक रही बल्कि विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं कला प्रेमियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक भी सिद्ध हुई।

छात्रों की रचनाओं की प्रदर्शनी – सृजनशीलता का उत्सव

कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग की कला वीथिका में छात्रों की रचनाओं की एक विशिष्ट प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो० संजय सिंह एवं कला इतिहासकार श्री जॉनी एम. एल. द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। उद्घाटन अवसर पर कुलपति महोदय ने विद्यार्थियों की कृतियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें और बेहतर कार्य के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने सुझाव दिया कि-

“विश्वविद्यालय को भविष्य में एक वृहद ‘कला मेला’ का आयोजन करना चाहिए, जिसमें देश के अन्य विश्वविद्यालयों को आमंत्रित कर श्रेष्ठ कृतियों को पुरस्कृत किया जाए। यह न केवल विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करेगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा।”

प्रदर्शनी में प्रदर्शित छात्र कृतियों में मौलिकता, रंग प्रयोग, प्रतीकात्मकता और विचार की स्पष्टता झलक रही थी। जॉनी एम. एल. ने प्रत्येक छात्र की कलाकृति को देखा, उनकी प्रशंसा की और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा कि-

“इन छात्रों में कलात्मक अभिव्यक्ति की अपार संभावना है, इन्हें विश्व कला में हो रहे समकालीन प्रयोगों से भी जोड़ा जाना चाहिए।”

कार्यक्रम की व्यवस्था एवं सहभागिता

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन सुकृति मिश्रा ने कुशलता से किया। प्रो० पी० राजीव नयन, अधिष्ठाता, ललित कला एवं प्रदर्शन कला संकाय ने समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को कला व कला इतिहास के प्रति गंभीरता से कार्य करने और अपनी रचनात्मकता को निरंतर विकसित करने के लिए प्रेरित किया।

इस आयोजन में अनेक विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे – प्रो० वी०के० सिंह, प्रो० अवनीश चन्द्र मिश्र, प्रो० सी०के० दीक्षित, कुलसचिव श्री रोहित सिंह, ललित कला परफॉर्मिंग आर्ट संकाय के अधिष्ठाता प्रो० राजीव नयन पाण्डेय, विभागीय शिक्षकगण – डॉ० अवधेश प्रसाद मिश्र, डॉ० सुनीता शर्मा, भूपेंद्र कुमार अस्थाना, गिरीश पाण्डेय, रीना, प्रिया मिश्रा, शोधार्थी एवं कला छात्र।

प्रदर्शनी 16 अप्रैल से 18 अप्रैल 2025 तक कला वीथिका में आम जनता के अवलोकन हेतु खुली रहेगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

‘Capgras Delusion’ ?

    मानव मस्तिष्क की अनदेखी दुनिया:     एक विशेष श्रृंखला-2 Lucknow [ Report By- Jyotirmay yadav ]   "मानव में विकृत मस्तिष्क बीमारियों...