सोमवार, 14 अप्रैल 2025

शरबत पर विवाद

 राजनीति की गर्मी में शरबत की ठंडक: 


एक पेय पर उठे सवाल और उसका सांस्कृतिक महत्व

विश्लेषणात्मक रिपोर्ट | विशेष संवाददाता



गर्मी के मौसम में जब सूरज सिर पर हो और शरीर तप रहा हो, तब एक गिलास ठंडा शरबत राहत का अहसास देता है। लेकिन हाल के दिनों में यह राहत देने वाला पेय भी विवादों के घेरे में आ गया है। शरबत अब केवल स्वाद और सेहत की चीज नहीं रह गई, बल्कि राजनीति और धर्म की बहस का हिस्सा बन गया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों शरबत को लेकर विवाद हुआ, इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व क्या है और हम इससे क्या सबक ले सकते हैं।


शरबत: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिचय

शरबत एक ऐसा पेय है जिसकी जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर फ़ारस, तुर्की और अरब देशों तक फैली हुई हैं। शरबत शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के "शरिबा" शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है "पीना"। भारतीय समाज में यह न सिर्फ़ गर्मी से राहत देने वाला पेय है, बल्कि आपसी सौहार्द, मेहमाननवाज़ी और साझी संस्कृति का प्रतीक भी रहा है।


विवाद की जड़ में क्या है ?

बाबा रामदेव का बयान और प्रतिक्रिया:

बाबा रामदेव, जिनका स्वयं का ब्रांड पतंजलि आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है, ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा:

"हमारे पास अपने देशी विकल्प हैं। हमें रूह अफ़ज़ा जैसे विदेशी सोच से बने उत्पादों को त्यागना चाहिए और आयुर्वेदिक पेयों को अपनाना चाहिए।"

उनके इस बयान को कई लोगों ने "धार्मिक ध्रुवीकरण" के रूप में देखा। वहीं कुछ समर्थकों ने इसे स्वदेशी अपनाओ अभियान से जोड़ा।

यह पहला मौका नहीं है जब कोई साधारण चीज़—जो आमतौर पर हर धर्म, जाति और वर्ग में समान रूप से पसंद की जाती है—राजनीतिक बहस में घसीटी गई हो। शरबत, जो सामान्यतः रमज़ान, होली, शादी-ब्याह और गर्मियों के मेलों में सबको समान रूप से परोसा जाता है, आज एक 'पहचान' का प्रश्न बन गया है। यह एक बड़ी विडंबना है कि जो चीजें हमें जोड़ती हैं, वही आज अलगाव का ज़रिया बन रही हैं।


समाज में  शरबत अब धार्मिक हो गया है?

शरबत सदियों से भारतीय समाज का हिस्सा रहा है। गर्मियों में यह न केवल शरीर को ठंडक देता है, बल्कि सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक रहा है। जब किसी को शरबत पिलाया जाता है, उसमें मज़हब की जगह मानवता और मेहमाननवाज़ी झलकती है।

बाबा रामदेव का बयान इस पूरे परिप्रेक्ष्य को एक धार्मिक और राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश प्रतीत होता है, जिससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँच सकता है। रूह अफ़ज़ा जैसे उत्पादों को केवल उनके निर्माता के धर्म से जोड़ना न केवल व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा को अस्वस्थ बनाता है, बल्कि सांस्कृतिक विविधता को भी ठेस पहुँचाता है।

शरबत केवल पेय नहीं, एक प्रतीक है—साझी विरासत, भाईचारे और भारतीय संस्कृति का। जब हम किसी को गर्मी में शरबत पिलाते हैं, तो उसमें धर्म नहीं होता, होता है बस मानवीयता का रस। अगर इसी मानवीयता को बनाए रखा जाए, तो ऐसी किसी भी बेवजह की बहस को पीछे छोड़ा जा सकता है।


साझी विरासत बनाम विचारधारा की राजनीति

भारत में त्योहारों, रोज़ों, शादियों और गर्मी के दोपहरों में रूह अफ़ज़ा  एक आम चीज़ रही है – चाहे वह हिंदू परिवार हो या मुसलमान, सिख हों या ईसाई। इसे अब किसी खास विचारधारा की कसौटी पर कसना एक सांप्रदायिकता की ओर इशारा करता है, जहां उपभोग की वस्तुएं भी पहचान का मुद्दा बन जाती हैं।


क्या विकल्प पर बात नहीं हो सकती?

बेशक देशी उत्पादों को बढ़ावा देना एक सराहनीय कदम है। पतंजलि जैसे ब्रांड यदि आयुर्वेदिक शरबत बनाते हैं तो उन्हें खुले बाज़ार में मुकाबला करना चाहिए, न कि दूसरे उत्पादों को धार्मिक रंग देकर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश करनी चाहिए।

आज की राजनीति में हर चीज़ को धर्म, जाति और पहचान के चश्मे से देखा जा रहा है—यह प्रवृत्ति समाज के ताने-बाने के लिए खतरनाक है। शरबत जैसे सहज, सर्वसुलभ, शीतल पेय को विवादों से दूर रखना चाहिए। यह याद रखना ज़रूरी है कि जब गर्मी बढ़ती है, तो शरबत हर किसी के लिए राहत बनता है, बिना देखे कि वह कौन है।


🍹 शरबत के प्रमुख प्रकार और उनके फायदे

भारत में शरबत सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बड़े काम का होता है। गर्मी से राहत, पाचन में मदद, शरीर की ठंडक बनाए रखने जैसे कई फायदे हैं। आइए जानते हैं कुछ लोकप्रिय शरबत और उनके लाभ:


1. गुड़ का शरबत

  • फायदा: शरीर को डिटॉक्स करता है, खून साफ करता है, एनर्जी बढ़ाता है।

  • कैसे बनता है: पानी में गुड़ घोलकर, थोड़ा नींबू और काला नमक मिलाकर।


2. कच्ची कैरी (कच्चे आम) का शरबत (पना)

  • फायदा: लू से बचाता है, डिहाइड्रेशन से राहत देता है, पेट ठंडा रखता है।

  • गर्मी में रामबाण उपाय।


3. सत्तू का शरबत (नमकीन या मीठा)

  • फायदा: हाई प्रोटीन ड्रिंक, पेट भरता है, पाचन में मदद करता है, शरीर को ठंडा रखता है।

  • गांवों में बेहद लोकप्रिय।


4. पुदीना जलजीरा शरबत

  • फायदा: भूख बढ़ाता है, गैस और अपच से राहत देता है, शरीर को ठंडक देता है।

  • तेज मसालों के साथ एकदम चटपटा।


5. खस का शरबत

  • फायदा: शरीर की गर्मी को कम करता है, नर्वस सिस्टम को शांत करता है, नींद लाने में सहायक।

  • खुशबूदार और ठंडक देने वाला।


6. चंदन का शरबत

  • फायदा: मन को शांत करता है, त्वचा के लिए लाभदायक, गर्मी से राहत देता है।

  • आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर।


7. प्याज का शरबत (औषधीय प्रयोग में)

  • फायदा: लू से बचाता है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है।

  • स्वाद कम, लेकिन असरदार ज्यादा।


8. सौंफ का शरबत

  • फायदा: पाचन में मदद करता है, मुंह की दुर्गंध हटाता है, ठंडक देता है।

  • इफ्तार में भी लोकप्रिय।


9. तरबूज या खरबूजा का शरबत

  • फायदा: हाई वाटर कंटेंट, शरीर को हाइड्रेट करता है, एनर्जी देता है।

  • गर्मी में फ्रेशनेस का बेहतरीन स्रोत।


10. ब्राम्ही का शरबत

  • फायदा: दिमाग को तेज करता है, तनाव कम करता है, याददाश्त बढ़ाता है।

  • आयुर्वेदिक टॉनिक की तरह।


11. रूह अफ़ज़ा (हर्बल शरबत)

  • फायदा: पूरे शरीर को ठंडक देता है, दिल के लिए फायदेमंद, रोज़ा या व्रत में एनर्जी देता है।

  • दूध, पानी या फालूदा में मिलाकर पिया जाता है।


12. अनानास, कीवी, पपीता, अंगूर और केला मिक्स फ्रूट शरबत

  • फायदा: विटामिन्स से भरपूर, इम्यून सिस्टम मज़बूत करता है, स्वादिष्ट और एनर्जेटिक।

शरबत हमें यह सिखाता है कि गर्मी से लड़ने के लिए हमें मिलकर मीठा बनना होता है, न कि किसी के खिलाफ़ तीखा।

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