📰 युवा दर्पण
सिर्फ मार्क्स नहीं, ज़रूरी है स्किल्स ! –
एक टॉपर छात्रा बिस्मा की आंखें खोलने वाली कहानी
✍️ विशेष लेख
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज की छात्रा बिस्मा ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हुए आज के शिक्षा तंत्र और करियर रेस की एक बड़ी सच्चाई को उजागर किया। बचपन से 'अच्छे नंबर लाओ, आगे सब आसान हो जाएगा'—यह मंत्र हर विद्यार्थी को सिखाया गया है। लेकिन बिस्मा का अनुभव बताता है कि असल दुनिया इससे बहुत अलग है।
बिस्मा बताती हैं, "मैंने 10वीं-12वीं में बेहतरीन अंक लाए, 50+ सर्टिफिकेट्स, 10+ मेडल्स और ट्रॉफीज़ हासिल कीं। लेकिन जब इंटर्नशिप के लिए इंटरव्यू देने गई, तो किसी ने मेरे मार्क्स नहीं पूछे—सिर्फ यही पूछा कि आपके पास कौन सी स्किल है?"
यह सवाल न सिर्फ बिस्मा को चौंकाता है, बल्कि हर उस युवा को झकझोरता है जो आज भी सिर्फ नंबरों के पीछे भाग रहा है।
बिस्मा की कहानी हर उस युवा के लिए आईना है जो सोचता है कि सिर्फ अच्छे नंबर ही सफलता की कुंजी हैं। आज के दौर में हुनर (skill) ही असली शक्ति है।
👉 सीख:
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सिर्फ नंबर नहीं, स्किल्स पर ध्यान दें।
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रिज़्यूमे में स्किल्स सबसे पहले देखी जाती हैं, मार्क्स बाद में।
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समय रहते अपनी ताक़त पहचानिए, उसे निखारिए।
युवाओं के लिए यह समय है आंखें खोलने का। दुनिया बदल चुकी है—अब सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, असली काबिलियत ही आपको आगे ले जाएगी।
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