रविवार, 20 अप्रैल 2025

एक टॉपर छात्रा बिस्मा की आंखें खोलने वाली कहानी

 

📰 युवा दर्पण


सिर्फ मार्क्स नहीं, ज़रूरी है स्किल्स ! – 


एक टॉपर 
छात्रा बिस्मा की आंखें खोलने वाली कहानी

✍️ विशेष लेख

दिल्ली विश्वविद्यालय

"मैं टॉपर हूं, लेकिन मुझे इंटर्नशिप नहीं मिल रही।"
यह कोई मामूली शिकायत नहीं, बल्कि आज के युवाओं के लिए एक गहरी सीख है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज की छात्रा बिस्मा ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हुए आज के शिक्षा तंत्र और करियर रेस की एक बड़ी सच्चाई को उजागर किया। बचपन से 'अच्छे नंबर लाओ, आगे सब आसान हो जाएगा'—यह मंत्र हर विद्यार्थी को सिखाया गया है। लेकिन बिस्मा का अनुभव बताता है कि असल दुनिया इससे बहुत अलग है।

बिस्मा बताती हैं, "मैंने 10वीं-12वीं में बेहतरीन अंक लाए, 50+ सर्टिफिकेट्स, 10+ मेडल्स और ट्रॉफीज़ हासिल कीं। लेकिन जब इंटर्नशिप के लिए इंटरव्यू देने गई, तो किसी ने मेरे मार्क्स नहीं पूछे—सिर्फ यही पूछा कि आपके पास कौन सी स्किल है?"

यह सवाल न सिर्फ बिस्मा को चौंकाता है, बल्कि हर उस युवा को झकझोरता है जो आज भी सिर्फ नंबरों के पीछे भाग रहा है।

तो क्या करें युवा?
बिस्मा का संदेश साफ है—पढ़ाई ज़रूरी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कोई एक स्किल सीखना। चाहे वह लेखन हो, डिजाइनिंग हो, प्रोग्रामिंग, कम्युनिकेशन या एनालिटिक्स—जो भी आपकी रुचि हो, उसमें खुद को बेहतर बनाइए।

सवाल सोचने लायक है:
क्या आपको याद है आपने 10वीं में कितने अंक पाए थे? और क्या वो आज आपके किसी काम आ रहे हैं?

बिस्मा की कहानी हर उस युवा के लिए आईना है जो सोचता है कि सिर्फ अच्छे नंबर ही सफलता की कुंजी हैं। आज के दौर में हुनर (skill) ही असली शक्ति है।

👉 सीख:

  • सिर्फ नंबर नहीं, स्किल्स पर ध्यान दें।

  • रिज़्यूमे में स्किल्स सबसे पहले देखी जाती हैं, मार्क्स बाद में।

  • समय रहते अपनी ताक़त पहचानिए, उसे निखारिए।

युवाओं के लिए यह समय है आंखें खोलने का। दुनिया बदल चुकी है—अब सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, असली काबिलियत ही आपको आगे ले जाएगी।

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