स्मार्ट चश्मों की दुनिया में क्रांति: क्या स्मार्ट चश्मे समाप्त कर देंगे मोबाइल और टीवी का युग ?
LUCKNOW, (JYOTI JOURNALIST) 12 अप्रैल 2025
21वीं सदी में जब स्मार्टफोन, टैबलेट और स्मार्टवॉच जैसे उपकरणों ने हमारी जिंदगी में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए, अब उसी श्रृंखला में एक नया उपकरण जुड़ गया है – स्मार्ट चश्मे (Smart Glasses)। ये चश्मे न केवल देखने का पारंपरिक कार्य करते हैं, बल्कि डिजिटल जानकारी को आंखों के सामने सीधे प्रोजेक्ट कर उपयोगकर्ता को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।
क्या टीवी और स्मार्टफोन अप्रासंगिक हो जाएंगे ?
विशेषज्ञों की राय:
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 10 से 15 वर्षों में स्मार्ट चश्मे स्मार्टफोन की भूमिका को कम कर सकते हैं, विशेषकर पेशेवर और औद्योगिक कार्यों में। टीवी की बात करें तो, जैसे-जैसे वर्चुअल होलोग्राफिक डिस्प्ले सस्ता और सुलभ होगा, घर में दीवार पर लगे स्क्रीन अप्रासंगिक हो सकते हैं। आइए जानते हैं।
तकनीक की दुनिया में एक नया अध्याय जुड़ चुका है। अब चश्मे न सिर्फ देखने का माध्यम रह गए हैं, बल्कि यह आपके सामने डिजिटल जानकारी प्रदर्शित करने वाले स्मार्ट डिवाइस बन चुके हैं। वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीमों द्वारा विकसित किए गए स्मार्ट ग्लासेस (Smart Glasses) अब तेजी से दैनिक जीवन, चिकित्सा, शिक्षा और उद्योगों में अपनी जगह बना रहे हैं।
स्मार्ट चश्मों की यह तकनीक मूलतः एकीकृत डिस्प्ले सिस्टम, सेंसर, कैमरे, और प्रोसेसर से बनी होती है, जो उपयोगकर्ता को ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) का अनुभव प्रदान करती है। इसका अर्थ है कि उपयोगकर्ता वास्तविक दुनिया में रहते हुए डिजिटल जानकारी को सीधे अपने सामने देख सकता है।
कैसे काम करते हैं स्मार्ट चश्मे?
इन चश्मों में लेंस के भीतर एक माइक्रो डिस्प्ले या वेवगाइड तकनीक होती है जो आंखों के सामने सूचना को इस तरह प्रोजेक्ट करती है कि वह हवा में तैरती हुई प्रतीत होती है। साथ ही इनमें लगे IMU सेंसर, GPS, कैमरा और वॉयस कंट्रोल सिस्टम उपयोगकर्ता को बिना हाथ लगाए कमांड देने की सुविधा देते हैं।
क्या होते हैं स्मार्ट चश्मे और कैसे करते हैं कार्य?
स्मार्ट चश्मे एक प्रकार के वियरेबल ऑगमेंटेड रियलिटी डिवाइस होते हैं। इनके भीतर कई अत्याधुनिक तकनीकें एकीकृत होती हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
🧠 1. माइक्रो-प्रोसेसर और स्टोरेज
स्मार्ट चश्मों के फ्रेम में एक छोटा कंप्यूटर लगा होता है, जो जानकारी को प्रोसेस करता है। इसमें RAM और इंटरनल स्टोरेज भी होती है।
🔍 2. डिस्प्ले तकनीक
इन चश्मों में प्रयुक्त Waveguide या MicroLED डिस्प्ले तकनीक आंखों के सामने डेटा को हॉलोग्राफिक रूप में प्रस्तुत करती है। इससे उपयोगकर्ता को जानकारी पढ़ने के लिए नीचे देखने या हाथ में डिवाइस पकड़ने की आवश्यकता नहीं होती।
🎙️ 3. वॉयस कंट्रोल और AI
वॉयस कमांड द्वारा आप कॉल कर सकते हैं, मैसेज भेज सकते हैं, मौसम की जानकारी पा सकते हैं या रास्ता खोज सकते हैं – सब कुछ सिर्फ बोलकर।
🌐 4. कनेक्टिविटी सिस्टम
Bluetooth, Wi-Fi और 5G तकनीक के ज़रिए ये चश्मे स्मार्टफोन या इंटरनेट से कनेक्ट होकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
📸 5. कैमरे और सेंसर
इनमें लगे हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम होते हैं। साथ ही, GPS, Gyroscope, Accelerometer जैसे सेंसर इसे उपयोगकर्ता की गतिविधियों से जोड़ते हैं।
गूगल ग्लास से हुई शुरुआत
कौन था इसके पीछे का दिमाग?
स्मार्ट चश्मों की अवधारणा को व्यावहारिक रूप देने वाला पहला बड़ा प्रोजेक्ट था Google Glass, जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था। इसके मुख्य आविष्कारक माने जाते हैं बबाक परिविज़ (Babak Parviz), जो गूगल एक्स लैब में कार्यरत थे।
इन क्षेत्रों में बढ़ रहा है उपयोग:
चिकित्सा: सर्जन अब ऑपरेशन करते समय मरीज की रिपोर्ट, स्कैन और एनोटेशन लाइव देख सकते हैं।
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निर्माण एवं इंजीनियरिंग: ऑन-साइट तकनीशियन रीयल टाइम डायग्राम्स और गाइड्स देखकर मशीनों की मरम्मत कर रहे हैं।
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शिक्षा: अध्यापक छात्रों को 3D मॉडल्स के माध्यम से बेहतर समझा पा रहे हैं।
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नेविगेशन: बिना फोन देखे आंखों के सामने नक्शा और दिशा-सूचक तीर दिखाई देते हैं।
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दृष्टिबाधित सहायता: AI-आधारित वॉइस डिस्क्रिप्शन दृष्टिहीनों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
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दृष्टिबाधितों के लिए मददगार उपकरण।
भारत में बढ़ रहा है उपयोग
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं, निर्माण क्षेत्र और स्मार्ट एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स में इन चश्मों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर अब सर्जरी के दौरान लाइव डेटा देख सकते हैं, वहीं शिक्षक छात्रों को इंटरेक्टिव कंटेंट दिखा सकते हैं।
भविष्य की झलक
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में स्मार्ट चश्मे मोबाइल फोन का विकल्प बन सकते हैं। यह तकनीक न केवल हाथ-मुक्त डिजिटल अनुभव देगी, बल्कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए भी एक नई उम्मीद बनेगी।
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