आंतों के सूक्ष्मजीव: हमारे अदृश्य सहयोगी
"गट माइक्रोब्स"
लखनऊ, 23 अप्रैल 2025 —
मानव शरीर एक जटिल और अद्भुत रचना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में खरबों ऐसे सूक्ष्म जीव रहते हैं जो न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं, बल्कि कई शारीरिक क्रियाओं के लिए भी जिम्मेदार होते हैं? ये सूक्ष्मजीव मुख्य रूप से हमारी आंतों में पाए जाते हैं और इन्हें गट माइक्रोबायोम या गट माइक्रोब्स कहा जाता है।
क्या हैं गट माइक्रोब्स?
गट माइक्रोब्स वे सूक्ष्मजीव हैं जो मानव पाचन तंत्र, विशेषकर बड़ी आंत (कोलन) में निवास करते हैं। इनमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और प्रोटोजोआ जैसी अनेक किस्मों के सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानव आंत में लगभग 100 ट्रिलियन माइक्रोब्स होते हैं – यह संख्या हमारे शरीर की कुल कोशिकाओं से भी कहीं अधिक है!
गट माइक्रोब्स का मानव शरीर में योगदान
1. पाचन में सहायता: गट माइक्रोब्स जटिल कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों को तोड़ने में मदद करते हैं जिन्हें हमारी पाचन एंजाइम पचा नहीं पाते। ये सूक्ष्मजीव इन पोषकों को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ते हैं और ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
2. विटामिन का उत्पादन: ये सूक्ष्मजीव विटामिन B12, K और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के उत्पादन में सहायता करते हैं।
3. प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करना: गट माइक्रोब्स शरीर के इम्यून सिस्टम को प्रशिक्षण देते हैं कि किस बैक्टीरिया से लड़ना है और किसे सहन करना है। इससे शरीर बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ पाता है।
4. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: हालिया शोधों से पता चला है कि आंतों का माइक्रोबायोम मस्तिष्क के साथ 'गट-ब्रेन एक्सिस' के माध्यम से संवाद करता है। यह तनाव, अवसाद और यहां तक कि न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
5. बीमारियों से बचाव: एक स्वस्थ गट माइक्रोबायोम टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है।
गट माइक्रोबायोम को स्वस्थ रखने के उपाय
प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ जैसे दही, छाछ, किमची और कांजी का सेवन करें।
प्रीबायोटिक खाद्य पदार्थ जैसे केला, प्याज, लहसुन, ओट्स और दालें खाएं, जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।
अत्यधिक एंटीबायोटिक्स के सेवन से बचें क्योंकि ये अच्छे बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं।
संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाएं।
गट माइक्रोब्स हमारे अदृश्य लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण साथी हैं। विज्ञान जैसे-जैसे इनका रहस्य खोलता जा रहा है, वैसे-वैसे हम यह समझ पा रहे हैं कि हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य में इनकी कितनी बड़ी भूमिका है। आंतों की देखभाल करना सिर्फ पाचन नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।
गट माइक्रोब्स की असंतुलन: कैसे पता चलता है और इसका शरीर पर प्रभाव
हमारी आंतों में मौजूद माइक्रोब्स एक संतुलन बनाए रखते हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में गट माइक्रोबायोम होमियोस्टेसिस कहा जाता है। जब यह संतुलन बिगड़ता है – यानी कुछ विशेष बैक्टीरिया की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है या फायदेमंद बैक्टीरिया की कमी हो जाती है – तो यह स्थिति डायसबायोसिस (Dysbiosis) कहलाती है। यह कई प्रकार की बीमारियों और लक्षणों का कारण बन सकती है।
कैसे पता चलता है कि गट माइक्रोब्स का संतुलन बिगड़ा है?
1. मल परीक्षण (Stool Test):
यह सबसे आम वैज्ञानिक विधि है। मल के नमूने में माइक्रोब्स की विविधता (diversity) और मात्रा का विश्लेषण किया जाता है।
आधुनिक तकनीकों जैसे 16S rRNA जीन सीक्वेंसिंग और मेटाजेनोमिक एनालिसिस से यह पता लगाया जाता है कि कौन-कौन से सूक्ष्मजीव मौजूद हैं और उनकी संख्या क्या है।
2. लक्षणों के माध्यम से संकेत:
बार-बार गैस बनना, कब्ज या डायरिया
खाद्य पदार्थों से एलर्जी या संवेदनशीलता
बार-बार संक्रमण होना
मूड स्विंग्स, तनाव या अवसाद
त्वचा की समस्याएं जैसे एक्ज़िमा या मुंहासे
3. मेटाबोलाइट एनालिसिस:
माइक्रोब्स द्वारा उत्पादित केमिकल्स (जैसे शॉर्ट चेन फैटी एसिड्स) का परीक्षण किया जाता है जो आंतों के स्वास्थ्य का संकेत देते हैं।
गट माइक्रोब्स की कमी का प्रभाव:
1. पाचन तंत्र पर असर:
फाइबर और जटिल कार्बोहाइड्रेट को पचाने में समस्या
मल त्याग में अनियमितता
2. प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ना:
रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता घट जाती है
ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ता है
3. विटामिन की कमी:
खासकर विटामिन K और B-कॉम्प्लेक्स की कमी
4. मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन का उत्पादन घटता है
डिप्रेशन और एंग्जायटी की संभावना
5. मेटाबोलिक गड़बड़ियाँ:
वजन बढ़ना, इंसुलिन रेज़िस्टेंस, टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा
गट माइक्रोब्स की अधिकता या असंतुलित वृद्धि का प्रभाव:
1. SIBO (Small Intestinal Bacterial Overgrowth):
आंत की छोटी नली में बैक्टीरिया की अत्यधिक वृद्धि जिससे डायरिया, सूजन और गैस की समस्या होती है
2. हॉर्मोनल असंतुलन:
कुछ बैक्टीरिया एस्ट्रोजन जैसे हॉर्मोन को तोड़ते हैं, जिससे महिलाओं में पीरियड्स असामान्य हो सकते हैं
3. त्वचा रोग:
माइक्रोब्स द्वारा उत्पादित विषैले पदार्थ त्वचा पर प्रभाव डाल सकते हैं
4. क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन (Chronic Inflammation):
असंतुलित माइक्रोबायोम शरीर में सूजन बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग, आर्थराइटिस और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं
डॉक्टरी सलाह:
एम्स, दिल्ली के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के अनुसार, “आंतों के बैक्टीरिया सिर्फ पाचन नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली और मेटाबोलिज्म पर भी असर डालते हैं। गट हेल्थ को इग्नोर न करें।”
गट माइक्रोबायोम एक "फोरेन माइक्रोबियल अंग" (foreign microbial organ) की तरह कार्य करता है। इसकी सही मात्रा और विविधता शरीर की कई प्रणालियों को संतुलित रखने के लिए आवश्यक है। आजकल "गट हेल्थ" को एक स्वतंत्र चिकित्सा शाखा की तरह देखा जा रहा है, और कई चिकित्सक व्यक्तिगत माइक्रोबायोम प्रोफाइल के आधार पर आहार और उपचार सुझा रहे हैं।
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