सोमवार, 21 अप्रैल 2025

गुस्से से पहले सोचें, कहीं सेहत न बिगड़ जाए

 

🔥गुस्सा नहीं, ज़हर है ये — 

जो दिल, दिमाग और रिश्ता सब खा जाता है !

नई रिसर्च में खुलासा – गुस्सा करता है दिल, दिमाग और रिश्तों पर वार!

संवाददाता – लखनऊ,21 अप्रैल 2025

क्या आपको भी जल्दी गुस्सा आ जाता है? क्या छोटी-छोटी बातों पर आप आपा खो बैठते हैं? अगर हाँ, तो यह खबर आपके लिए है — और बेहद जरूरी भी।

नवीनतम वैज्ञानिक शोधों और भारत में जारी हेल्थ रिपोर्ट्स से पता चला है कि गुस्सा न केवल मानसिक शांति को भंग करता है, बल्कि यह शरीर के लिए एक "स्लो पॉइज़न" जैसा है जो धीरे-धीरे दिल, दिमाग, इम्यून सिस्टम और यहां तक कि सामाजिक रिश्तों को भी कमजोर करता है।


🧬 गुस्से का शरीर पर वैज्ञानिक असर — जब भावना बन जाए बीमारी

🫀 1. दिल पर सीधा वार

जैसे ही गुस्सा आता है, शरीर में एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। इससे हृदयगति (Heart Rate) और रक्तचाप (Blood Pressure) अचानक बढ़ जाते हैं।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी गुस्से के एपिसोड के एक घंटे के अंदर दिल का दौरा पड़ने का खतरा 8 गुना तक बढ़ जाता है।

🧠 2. मस्तिष्क की wiring होती है प्रभावित

गुस्सा आने पर मस्तिष्क का "एमिगडाला" हिस्सा सक्रिय होता है — यह वही हिस्सा है जो "फाइट या फ्लाइट" रेस्पॉन्स को कंट्रोल करता है। लगातार गुस्सा आने पर यह ओवरएक्टिव हो जाता है, जिससे डिप्रेशन, एंग्जायटी और ओवरथिंकिंग जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

🦠 3. इम्यून सिस्टम होती है प्रभावित

गुस्सा शरीर में क्रोनिक स्ट्रेस पैदा करता है, जिससे कोर्टिसोल का लेवल बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर होने लगती है। इससे व्यक्ति को बार-बार बीमारियाँ घेरने लगती हैं — जैसे सर्दी, बुखार, थकान, सिरदर्द आदि।


📊 भारत में गुस्से की स्थिति: आंकड़े हैं चौंकाने वाले

1.हर सातवां भारतीय मानसिक विकार से ग्रसित

2017 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में हर सातवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित था। 1990 से 2017 के बीच, मानसिक विकारों का कुल रोग भार में योगदान लगभग दोगुना हो गया है। PMC

2. Intermittent Explosive Disorder (IED) की व्यापकता

हालांकि भारत में IED पर सीमित डेटा उपलब्ध है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसके जीवनकाल की व्यापकता 0.1% से 2.7% के बीच पाई गई है। यह विकार विशेष रूप से युवाओं, बेरोजगारों और कम शिक्षा प्राप्त लोगों में अधिक देखा गया है। PubMed

3. युवाओं में आक्रोश और आक्रामकता

तमिलनाडु के एक अध्ययन में पाया गया कि 396 किशोरों में से 20.45% में न्यूनतम, 53.54% में हल्का, 21.72% में मध्यम और 4.29% में गंभीर स्तर का गुस्सा पाया गया। ResearchGate

4. महिलाओं में बढ़ता गुस्सा

गैलप वर्ल्ड पोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय महिलाएं दुनिया की अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक गुस्सैल पाई गई हैं। यह प्रवृत्ति पिछले एक दशक में पुरुषों की तुलना में 12% अधिक बढ़ी है।​

😡 मानसिक स्वास्थ्य और गुस्सा

ICMR (Indian Council of Medical Research) के अनुसार, भारत में हर पाँचवां व्यक्ति किसी न किसी समय अत्यधिक गुस्से या "Intermittent Explosive Disorder" (IED) से ग्रसित होता है।

💔 गुस्से से जुड़ी शारीरिक बीमारियाँ

2022 में जारी Lancet Psychiatry रिपोर्ट बताती है कि भारत में लगभग 10 लाख से अधिक लोग हर साल गुस्से और तनाव की वजह से दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का सामना करते हैं।

🏢 कार्यस्थलों पर बढ़ता गुस्सा

एक हेल्थ स्टार्टअप HealthifyMe के अनुसार, मेट्रो शहरों में काम करने वाले 63% कर्मचारियों को वर्कप्लेस एंगर और इरिटेशन की शिकायत है, जो उनकी कार्य कुशलता और मानसिक शांति को बुरी तरह प्रभावित करता है।


🧘 गुस्से को काबू में रखने के लिए अपनाएं ये असरदार उपाय

  1. गहरी साँस लें और धीरे-धीरे गिनें (1 से 10 तक)

  2. माइंडफुलनेस मेडिटेशन करें — दिन में 10 मिनट

  3. गुस्से की जड़ को पहचानें — ट्रिगर क्या है?

  4. जर्नलिंग करें — गुस्से की घटनाओं को लिखें

  5. व्यायाम और योग करें — एंडोर्फिन रिलीज होता है

  6. प्रोफेशनल काउंसलिंग लें — जब गुस्सा बेकाबू हो जाए


🗣️ विशेषज्ञों की राय

डॉ. प्रेरणा वर्मा, साइकोलॉजिस्ट, AIIMS कहती हैं –

“गुस्सा एक सेकंड की भावना है, लेकिन अगर उसे संभाला न जाए तो यह सालों तक चलने वाली बीमारी बन सकती है। जरूरी है कि हम अपने इमोशनल हेल्थ को उतनी ही प्राथमिकता दें जितनी फिजिकल हेल्थ को देते हैं।”


 गुस्से से पहले सोचें, कहीं सेहत न बिगड़ जाए!

गुस्सा आना स्वाभाविक है, लेकिन उस पर नियंत्रण न होना खतरनाक हो सकता है। यह न केवल आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ता है, बल्कि आपके रिश्तों, करियर और मानसिक शांति को भी खा जाता है। अब वक्त है खुद से सवाल पूछने का — "क्या कुछ पल का गुस्सा मेरी ज़िंदगी पर भारी पड़ सकता है?"

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