बुधवार, 21 मई 2025

डीएनए हैकर्स के निशाने पर

 

"डीएनए भी अब नहीं सुरक्षित! 

हैकर्स के निशाने पर आपकी जैविक पहचान"

नई रिसर्च का खुलासा — जेनेटिक डेटा की चोरी से ब्लैकमेलिंग, जैविक हथियार और मेडिकल हमले तक का खतरा, अब DNA भी बन सकता है हथियार

Report: Special Correspondent, Lucknow
इन दिनों यूपी की सियासत में 'डीएनए' खूब चर्चा में है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका असली डीएनए भी अब खतरे में है? जी हां, आपका जैविक डीएनए भी हैक हो सकता है!

यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ की ताज़ा रिसर्च से बड़ा खुलासा हुआ है—अगली पीढ़ी की डीएनए सीक्वेंसिंग तकनीक (Next-Generation DNA Sequencing) अब साइबर हमलों की ज़द में आ चुकी है। यानी अब सिर्फ आधार कार्ड या मोबाइल डेटा नहीं, बल्कि आपकी जैविक पहचान भी साइबर अपराधियों के निशाने पर है।

यह तकनीक वैज्ञानिकों को तेजी और सटीकता से डीएनए और आरएनए की जानकारी जुटाने में मदद करती है, जिससे बीमारियों की पहचान और इलाज आसान हो गया है। लेकिन अब यही सुविधा हैकर्स के लिए खतरनाक हथियार बनती जा रही है।

कैसे होता है खतरा?

रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया—सैंपल तैयार करने से लेकर डेटा विश्लेषण तक—में कई 'साइबर लूपहोल्स' हैं। इन कमजोरियों का फायदा उठाकर हैकर्स:

  • आपकी पहचान चुरा सकते हैं

  • ब्लैकमेलिंग कर सकते हैं

  • मेडिकल रिपोर्ट में छेड़छाड़ कर सकते हैं

  • जैविक हथियार या टारगेटेड वायरस बना सकते हैं

DNA में छिप सकता है वायरस!

रिसर्चर्स का कहना है कि अब हैकिंग सिर्फ कोड या वायरस तक सीमित नहीं रही। भविष्य में 'सिंथेटिक डीएनए' के ज़रिए मैलवेयर कंप्यूटर में डाला जा सकता है। यानी DNA खुद एक डिजिटल वायरस का वाहक बन सकता है!

AI के जरिए अनाम DNA को भी ट्रैक किया जा सकता है। इसका मतलब है कि भले ही आपने अपनी पहचान छुपा ली हो, पर आपका DNA कुछ और ही कहानी सुना सकता है।

क्या करना होगा?

रिसर्चर्स का कहना है कि:

  • डेटा को एन्क्रिप्टेड सर्वर में सुरक्षित रखना चाहिए

  • AI-बेस्ड अलर्ट सिस्टम अपनाना होगा

  • सरकार, वैज्ञानिक और उद्योग जगत को मिलकर साइबर-बायो सुरक्षा नीति बनानी होगी

अब DNA की सुरक्षा भी है राष्ट्रीय सुरक्षा

DNA डेटा की चोरी न सिर्फ आपकी निजी जानकारी को खतरे में डालती है, बल्कि इससे देश की सुरक्षा को भी नुकसान पहुंच सकता है।

अब वक्त आ गया है कि हम DNA को भी उतनी ही गंभीरता से सुरक्षित करें, जितनी पासवर्ड या बैंक डिटेल्स को करते हैं।

👉 पूरा अध्ययन पढ़ें:
University of Portsmouth Report

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