सूरज ने दिखाया तेवर !
पांच महाद्वीपों पर रेडियो ब्लैकआउट, साल की सबसे तीव्र X2.7 श्रेणी की सौर ज्वाला ने मचाया हड़कंप
(JYOTI REPORTER, - LUCKNOW)
सूरज ने इस हफ्ते आसमान में ऐसा जलवा दिखाया कि धरती पर संचार तक थम गया। बुधवार सुबह ठीक 4:30 बजे (ईस्टर्न टाइम) सूर्य से निकली X2.7-श्रेणी की शक्तिशाली सौर ज्वाला ने पांच महाद्वीपों में हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो सिग्नल को प्रभावित कर दिया। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य-पूर्व जैसे क्षेत्रों में कुछ समय के लिए रेडियो सन्नाटा छा गया।
नासा के सोलर डायनामिक्स ऑब्जर्वेटरी ने इस शक्तिशाली सौर गतिविधि को बेहद नजदीक से कैद किया। खास बात यह है कि यह ज्वाला एक के बाद एक तीन बड़ी सौर घटनाओं में से सबसे तीव्र थी—जिसमें इससे पहले M5.3 और X1.2 श्रेणी की ज्वालाएं भी देखी गईं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सौर ज्वालाएं तब फूटती हैं जब सूर्य की सतह पर मैग्नेटिक एनर्जी अचानक विस्फोट करती है। X-श्रेणी की ज्वालाएं सबसे अधिक तीव्र मानी जाती हैं, जो न केवल सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा पैदा करती हैं, बल्कि पृथ्वी पर रेडियो और GPS नेटवर्क को भी बाधित कर सकती हैं।
इस बार, मध्य-पूर्व में तो सौर ज्वाला के चरम पर आने के दौरान 10 मिनट तक रेडियो ब्लैकआउट तक हो गया। हालांकि, बाकी क्षेत्रों में भी मामूली व्यवधान महसूस किए गए।
बता दें कि सूर्य इस समय अपने सक्रियतम चरण ‘सोलर मैक्सिमम’ में प्रवेश कर चुका है, जो पूरे वर्ष जारी रहने की संभावना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं अब और भी ज्यादा देखने को मिल सकती हैं।
गौरतलब है कि भले ही यह इस साल की अब तक की सबसे ताकतवर सौर ज्वाला रही हो, लेकिन अक्टूबर 2024 में रिकॉर्ड की गई X9.0-श्रेणी की ज्वाला अभी भी सबसे ऊपर है।
🔬 सौर ज्वाला क्या होती है?
सौर ज्वाला सूर्य की सतह पर अचानक होने वाला एक विशाल ऊर्जा विस्फोट होता है। यह तब होता है जब सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में अस्थिरता उत्पन्न होती है और वह टूट कर प्लाज्मा और चार्ज कणों के रूप में अंतरिक्ष में फैल जाती है।
फ्लेयर की तीव्रता को A, B, C, M और X वर्गों में बांटा जाता है। इनमें X-क्लास सबसे तीव्र होती है, जो पृथ्वी के आयनोस्फियर में सीधा असर डालती है।
🛰️ X2.7 फ्लेयर और उसका असर
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यह साल 2025 की अब तक की सबसे तीव्र सौर ज्वाला थी।
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यह ज्वाला M5.3 और X1.2 फ्लेयर के तुरंत बाद आई, यानी सूर्य पर तीव्र गतिविधियां लगातार हो रही हैं।
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यह ज्वाला नासा के Solar Dynamics Observatory द्वारा रिकॉर्ड की गई।
🌐 पृथ्वी पर असर
जैसे ही यह फ्लेयर धरती की ओर आई, इससे उत्पन्न उच्च-ऊर्जा एक्स-रे और अल्ट्रा वायलेट विकिरण ने पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (आयनोस्फीयर) को प्रभावित किया। परिणामस्वरूप,
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रेडियो सिग्नल में 10 मिनट तक रुकावट दर्ज की गई, खासकर मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया में।
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विमानों की HF रेडियो कम्युनिकेशन और समुद्री संचार अस्थायी रूप से बाधित हुआ।
भारत पर क्या असर ?
भारत, खासकर पूर्वी और दक्षिणी हिस्से, इस घटना के प्रभाव क्षेत्र में थे।
प्रभावित क्षेत्र:
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पूर्वोत्तर भारत (असम, अरुणाचल)
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पूर्वी तटीय राज्य (ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु)
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दक्षिण भारत के कुछ हिस्से (केरल, कर्नाटक)
संभावित प्रभाव:
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एविएशन सेक्टर में उड़ानों की HF रेडियो नेविगेशन में परेशानी।
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मछुआरों और नौसेना की संचार प्रणालियों में अस्थायी बाधा।
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वायुसेना और सेना के कुछ उच्च आवृत्ति संचार चैनल भी प्रभावित हो सकते हैं।
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GPS आधारित सेवाओं में मामूली अस्थिरता।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और इसरो (ISRO) लगातार सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। अभी तक कोई बड़ा नुकसान दर्ज नहीं हुआ है, पर आने वाले दिनों में चेतावनी और अलर्ट जारी रहेंगे।
🌞 सोलर मैक्सिमम की आहट!
वर्तमान में सूर्य अपने 11 वर्षीय सोलर साइकल के सबसे सक्रिय चरण Solar Maximum में पहुंच रहा है, जो 2025 तक जारी रहेगा। इसका मतलब है कि
➡️ अधिक सौर ज्वालाएं,
➡️ कोरोनल मास इजेक्शन (CME), और
➡️ मैग्नेटिक स्टॉर्म्स में बढ़ोतरी हो सकती है।
🔭 वैज्ञानिकों की चेतावनी:
“हम आने वाले महीनों में और भी तीव्र सौर घटनाओं की उम्मीद कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी पर निर्भर दुनिया के लिए यह चेतावनी है कि स्पेस वेदर को अब गंभीरता से लेना होगा।”
— डॉ. संदीप मिश्रा, सौर भौतिक विज्ञानी, ISRO
📡 आम जन के लिए सलाह:
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एयरलाइन और समुद्री यात्रियों को HF रेडियो की वैकल्पिक व्यवस्था रखें।
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GPS आधारित सेवाओं में अस्थिरता को लेकर सतर्क रहें।
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ISRO और IMD की वेबसाइट्स से स्पेस वेदर अपडेट लेते रहें।
🌠 सूरज की इस "तपिश" का असर अब सिर्फ गर्मी में नहीं, बल्कि तकनीकी दुनिया में भी महसूस होने लगा है। ऐसे में आगे की तैयारी ज़रूरी है।
🔭 विशेषज्ञों की राय:
"हमारी निगाहें सूरज पर हैं। आने वाले दिनों में अगर इस तरह की गतिविधियां और बढ़ीं, तो तकनीकी दुनिया को इससे बड़े स्तर पर प्रभावित होते देखा जा सकता है," – सौर विज्ञान विशेषज्ञ।
📻 क्या हो सकता है असर?
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रेडियो सिग्नल में रुकावट
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सैटेलाइट संचार में बाधा
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GPS सिस्टम की सटीकता पर असर
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अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा
🌞 सावधान रहें, क्योंकि सूरज की गर्मी अब सिर्फ तापमान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि तकनीक पर भी असर डाल रही है!
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