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अब सामने आई मानव शरीर की ‘सातवीं इंद्रिय’ — पेट से मस्तिष्क तक सीधा संवाद, बदल सकती है इलाज की दिशा
🌐 रिपोर्ट: ज्योतिर्मय यादव, लखनऊ
शोध: ड्यूक यूनिवर्सिटी, अमेरिका
📅 08 AUG.2025 | स्रोत: प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका "नेचर"
मानव शरीर की जटिलता को एक और परत में वैज्ञानिकों ने खोल दिया है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई ‘सातवीं इंद्रिय’ (Seventh Sense) की खोज की है — जो पेट (आंत) और मस्तिष्क के बीच सीधा, तत्काल और रासायनिक संवाद स्थापित करती है।
यह इंद्रिय न तो देखने, सुनने या छूने जैसी है, बल्कि यह शरीर के आंतरिक जैविक संकेतों को समझती है — और गट माइक्रोबायोम (आंतों में रहने वाले सूक्ष्म जीवों) की जानकारी को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाकर भूख, भावना और व्यवहार को प्रभावित करती है।
🧪 क्या है "सातवीं इंद्रिय" – वैज्ञानिक नाम: Neurobiotic Sense
वैज्ञानिकों ने इस नई संवेदी प्रणाली को "न्यूरोबायोटिक सेंस" नाम दिया है।
यह प्रणाली आंत में मौजूद विशेष कोशिकाओं – न्यूरोपोड्स (Neuropods) द्वारा कार्य करती है।
जब हम खाना खाते हैं, तो आंतों में मौजूद सूक्ष्मजीव—गट बैक्टीरिया—एक खास प्रोटीन फ्लैजेलिन (Flagellin) छोड़ते हैं।
यह प्रोटीन न्यूरोपोड्स द्वारा पहचाना जाता है, जो तुरंत वागस नर्व (Vagus Nerve) के ज़रिए मस्तिष्क को संकेत भेजते हैं कि
“अब पेट भर चुका है – खाना बंद करें।”
यह संवाद केवल कुछ सेकंड्स में हो जाता है, जो इसे अन्य इंद्रियों से भी अधिक तीव्र बनाता है।
🧬 प्रयोग से क्या निकला सामने?
शोध में चूहों पर यह प्रयोग किया गया। कुछ चूहों में TLR5 नामक रिसेप्टर को निष्क्रिय कर दिया गया।
परिणाम यह रहा कि इन चूहों ने
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आवश्यकता से अधिक खाना शुरू कर दिया
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भूख को नियंत्रित नहीं कर पाए
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असंतुलित व्यवहार दिखाया
इससे सिद्ध हुआ कि यह सातवीं इंद्रिय भोजन, मस्तिष्कीय संतुलन और भावनात्मक व्यवहार को गहराई से नियंत्रित करती है।
🧠 क्या मस्तिष्क को पेट से आदेश मिलते हैं?
जी हां। यह खोज "Gut-Brain Axis" के सिद्धांत को और गहराई देती है।
अब तक माना जाता था कि मस्तिष्क ही सब नियंत्रित करता है, लेकिन यह सातवीं इंद्रिय सिद्ध करती है कि:
🔁 पेट भी मस्तिष्क को आदेश देता है – और वह भी वर्तमान समय (Real-Time) में।
यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे आंखें रोशनी पहचानती हैं, कान ध्वनि सुनते हैं —
वैसे ही पेट के न्यूरोपोड्स "गट के रासायनिक संदेश" पहचानते हैं और मस्तिष्क को तुरंत प्रतिक्रिया के लिए तैयार करते हैं।
⚕️ इस खोज से क्या बदल सकता है?
🔹 मोटापे की नई चिकित्सा
अब तक मोटापा सिर्फ कैलोरी या जीवनशैली से जोड़ा जाता था। लेकिन अब माना जा रहा है कि सातवीं इंद्रिय की कमजोरी या असंतुलन से भी मोटापा हो सकता है।
🔹 डिप्रेशन और चिंता में नई दिशा
चूंकि यह तंत्र मूड और भावनाओं पर असर डालता है, इसलिए यह डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियों में क्रांतिकारी इलाज का मार्ग खोल सकता है।
🔹 मानसिक और व्यवहारिक विकारों में गट माइक्रोबायोम की भूमिका
अब इलाज केवल दवाओं तक सीमित नहीं रहेगा—बल्कि डॉक्टर गट बैक्टीरिया को सुधारकर मानसिक स्थिति को ठीक करने का रास्ता खोज सकते हैं।
🧠 पेट अब सिर्फ "पाचन तंत्र" नहीं, बल्कि "सुपर इंद्रिय" केंद्र है
मुख्य शोधकर्ता डॉ. डिएगो वी. बोहॉर्केज़ कहते हैं:
“यह पहली बार है कि हमने देखा कि गट माइक्रोबायोम मस्तिष्क से तात्कालिक संवाद कर सकता है। यह हमारी सोच, कार्य और अनुभव करने की प्रक्रिया को ही बदल देता है।”
🔍 निष्कर्ष:
पहलू | सातवीं इंद्रिय की भूमिका |
---|---|
🥗 भूख नियंत्रण | तुरंत मस्तिष्क को भोजन का सिग्नल देना |
💭 मानसिक स्वास्थ्य | मूड, अवसाद, चिंता पर गहरा प्रभाव |
🤯 व्यवहार | निर्णय क्षमता, प्रतिक्रिया और संतुलन |
🧬 जैविक विज्ञान | मस्तिष्क–गट कनेक्शन का वैज्ञानिक प्रमाण |
⚕️ चिकित्सा | नई दवाओं और माइक्रोबायोटिक ट्रीटमेंट का मार्ग |
📌 यह खोज मानव शरीर को समझने का एक नया अध्याय है। अब पेट और मस्तिष्क एक-दूसरे के साझेदार हैं—और सातवीं इंद्रिय इस गुप्त संवाद का सेतु है।
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